जो बिन बात के पड़ जायें गले
तार्रुफ़ किया करते हैं उनसे
फ़क़त दुआ- सलाम से
सफ़र जारी है बदस्तूर गोया
नये शहर में पतंगें भी
उड़ाते हैं
हवाओं की साँठ- गाँठ से
-संध्या
तार्रुफ़ किया करते हैं उनसे
फ़क़त दुआ- सलाम से
सफ़र जारी है बदस्तूर गोया
नये शहर में पतंगें भी
उड़ाते हैं
हवाओं की साँठ- गाँठ से
-संध्या
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