मैंने अपने हिस्से का
एक टुकड़ा चाँद तोड़कर
तैरा दिया था नदी में
ठँड से नीला पड़ा
दाँत कटकटाते हुए
भोर से पहले शायद
पहुँचता होगा
तुम्हारे शहर को
-संध्या यादव
एक टुकड़ा चाँद तोड़कर
तैरा दिया था नदी में
ठँड से नीला पड़ा
दाँत कटकटाते हुए
भोर से पहले शायद
पहुँचता होगा
तुम्हारे शहर को
-संध्या यादव
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