झमाझम बारिश में
खिड़की के पास खड़े होकर
जब भी कोई
धुंधला चेहरा बुनती हूँ
सामने आ जाते हैं
घोंसलों में दुबके
अपने डैनों में
बच्चों को छिपाये
पंछी...
पुआल की खरही में
दुबकी पगली
बिना दिहाड़ी किये
घर जल्दी लौटा
अँगनू...
और ढोर डंगर संग मड़ैया में
सोई भक्तिन आजी
-संध्या यादव
खिड़की के पास खड़े होकर
जब भी कोई
धुंधला चेहरा बुनती हूँ
सामने आ जाते हैं
घोंसलों में दुबके
अपने डैनों में
बच्चों को छिपाये
पंछी...
पुआल की खरही में
दुबकी पगली
बिना दिहाड़ी किये
घर जल्दी लौटा
अँगनू...
और ढोर डंगर संग मड़ैया में
सोई भक्तिन आजी
-संध्या यादव
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