मैं अक्सर तुम्हें
बहने नहीं देता अपनी आँखों से
कुछ तैरते हुए जो ख़्वाब बुने थे
उन दिनों जब हमारे क़स्बों की
हवाएँ एक हुआ करती थीं
हम दूर से पहचान लिया करते थे
एक दूसरे की ख़ुशबू
शब्द मौन साथी होते थे
हाथ थामें तय करते थे
मीलों के फ़ासले बिना बोले
मैं तुम्हारा स्पर्श लेकर उसे
बंद कर दिया करता था सीपियों में
अब भी पहुँच जाया करता हूँ
आदतन उन मोतियों की तलाश में
डाल दिया करता हूँ कुछ सिक्के
तुम्हारे नाम के
हर पोखर और तालाब में
तुम्हारे गालों का सुर्ख़ लाल
उस रोज़ बह गया था
सुना है ढूँढा करते हैं लाल मूँगे
परले गाँव की नदी में मछुआरे आजकल
-संध्या
बहने नहीं देता अपनी आँखों से
कुछ तैरते हुए जो ख़्वाब बुने थे
उन दिनों जब हमारे क़स्बों की
हवाएँ एक हुआ करती थीं
हम दूर से पहचान लिया करते थे
एक दूसरे की ख़ुशबू
शब्द मौन साथी होते थे
हाथ थामें तय करते थे
मीलों के फ़ासले बिना बोले
मैं तुम्हारा स्पर्श लेकर उसे
बंद कर दिया करता था सीपियों में
अब भी पहुँच जाया करता हूँ
आदतन उन मोतियों की तलाश में
डाल दिया करता हूँ कुछ सिक्के
तुम्हारे नाम के
हर पोखर और तालाब में
तुम्हारे गालों का सुर्ख़ लाल
उस रोज़ बह गया था
सुना है ढूँढा करते हैं लाल मूँगे
परले गाँव की नदी में मछुआरे आजकल
-संध्या
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