मैंने तुम्हें कभी कोई
प्रेम पत्र नहीं लिखा
ताकि तुम ठगे न जाओ
मेरी यादों से
तुम इसे मेरी
ढिठाई कह सकते हो
कि मैंने आज तक
कोई ऐसा सपना नहीं देखा
जिसमें मैंने मला हो वसंत का रंग
तुम्हारे चेहरे पर
हरी दूब पर टहले हों
एक दूजे का हाथ थामकर
कुछ दूर साथ चले हों
जीवन पथ पर
वचन लिए हों तारों से
अंजुरि भरकर
कोई तस्वीर बनाई हो मिलकर
कुछ लम्हें चुरायेंगे कैसे
सबसे नज़र बचाकर
मैंने ऐसा कोई सपना नहीं देखा
मैंने आजतक तुम्हें कोई
प्रेमपत्र नहीं लिखा
-संध्या यादव
प्रेम पत्र नहीं लिखा
ताकि तुम ठगे न जाओ
मेरी यादों से
तुम इसे मेरी
ढिठाई कह सकते हो
कि मैंने आज तक
कोई ऐसा सपना नहीं देखा
जिसमें मैंने मला हो वसंत का रंग
तुम्हारे चेहरे पर
हरी दूब पर टहले हों
एक दूजे का हाथ थामकर
कुछ दूर साथ चले हों
जीवन पथ पर
वचन लिए हों तारों से
अंजुरि भरकर
कोई तस्वीर बनाई हो मिलकर
कुछ लम्हें चुरायेंगे कैसे
सबसे नज़र बचाकर
मैंने ऐसा कोई सपना नहीं देखा
मैंने आजतक तुम्हें कोई
प्रेमपत्र नहीं लिखा
-संध्या यादव
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