प्रेम तक पहुँचने का रास्ता भले ही एक हो पर
उससे बाहर निकलने के सभी रास्ते युक्तियाँ खुले छोड़ दो बिना किसी ताले के।
उसके बाद भी जो बचा रह जाये वही सच्चा प्रेम है। इसे कुछ गिने चुने अर्थों
तक सीमित रखने के बजाय इसका स्वरूप इतना विस्तृत कर दिया जाना चाहिए कि
कटुता की गुजांइश न रहे। कम से कम वे युवा प्रेमी जोड़े जो इसे धर्म मानते
हैं एक नयी परिभाषा गढ़ सकते है जो कड़कती ठंड में सड़क किनारे पड़ी निर्भया या
दामिनी को अपने गर्म कोटों और शालों से ढँकने की हिम्मत जुटा सके।
-संध्या
-संध्या
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