बहुत बड़ी चीज़ मांग रही हूँ तुमसे
वचन दो कि तुम
हिम्मत रखोगी
बाकियों की तरह
कमज़ोर नहीं पड़ोगी
आत्महत्या कर दोगी
अपनी उस सोच का
जो कहती है कि
स्त्री की शुचिता उसकी देह से
जुड़ी है
बहुत मुश्किल है लेकिन फिर भी
उम्मीद है करती हूँ कि
तुम दोगुनी इच्छाशक्ति के साथ जियोगी
क्योंकि जी रही है
अरुणा शानबाग भी
तुम अपनी, उसकी और हम सबकी
लड़ाई लड़ोगी और पूछोगी
एक सवाल
कि आख़िर क्यों दिलवालों के शहर में
घूमते हैं कुछ लोग
पैरों में दिलों के जूते पहनकर
(दिल्ली मेँ गैंगरेप की शिकार उस लड़की के लिए)
-संध्या यादव
वचन दो कि तुम
हिम्मत रखोगी
बाकियों की तरह
कमज़ोर नहीं पड़ोगी
आत्महत्या कर दोगी
अपनी उस सोच का
जो कहती है कि
स्त्री की शुचिता उसकी देह से
जुड़ी है
बहुत मुश्किल है लेकिन फिर भी
उम्मीद है करती हूँ कि
तुम दोगुनी इच्छाशक्ति के साथ जियोगी
क्योंकि जी रही है
अरुणा शानबाग भी
तुम अपनी, उसकी और हम सबकी
लड़ाई लड़ोगी और पूछोगी
एक सवाल
कि आख़िर क्यों दिलवालों के शहर में
घूमते हैं कुछ लोग
पैरों में दिलों के जूते पहनकर
(दिल्ली मेँ गैंगरेप की शिकार उस लड़की के लिए)
-संध्या यादव
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