हम क्यूँ कहें कि बिन तेरे मर जायेंगे
जिंदा रहकर उनकी ख़बर तो पायेंगे
बसंत की ख़ातिर पतझड़ों से ये कोफ़्त कैसी
शाख़ से टूटकर पत्ते किधर जायेंगे
सुना है रातें बड़े शहरों की सोती नहीं
कुछ सपने बिकने अँधेरों में आँयेंगे
औरों से इश्क़ की ये बात अच्छी है
हमसे भी बनाये रखो,सँभल जायेंगे
अब नाकें हो गयीं हिंदू मुसलमान आदमी की
साँस लेने किस हवा में जायेंगे
-संध्या यादव
जिंदा रहकर उनकी ख़बर तो पायेंगे
बसंत की ख़ातिर पतझड़ों से ये कोफ़्त कैसी
शाख़ से टूटकर पत्ते किधर जायेंगे
सुना है रातें बड़े शहरों की सोती नहीं
कुछ सपने बिकने अँधेरों में आँयेंगे
औरों से इश्क़ की ये बात अच्छी है
हमसे भी बनाये रखो,सँभल जायेंगे
अब नाकें हो गयीं हिंदू मुसलमान आदमी की
साँस लेने किस हवा में जायेंगे
-संध्या यादव
बहुत खूब
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