सुनहरे से गुलाबी हो जाता है
हरसिंगार की सबसे ऊँची फुनगी पर
नयी कोंपल सहमी हुई बाहर आती है
छोटी बहना हठ करके जब
सरसों के पीले खेत दिखाती है
जाड़े की बारिश में भीगते हुए जब
तुम्हारे शहर की चाय याद आती है
और हर बूँद तस्वीर तुम्हारी लाती है
लम्बा इँतज़ार और कुछ पल की मुलाक़ात के बाद
जब स्टेशन की भीड़ छँट जाती है
अहाते में फिर से बुलबुल की
आवाजाही बढ़ जाती है
नोटबुक की एक नज़्म जब
पतझड़ों से न डरने की हिदायत दे जाती है
तुम्हारी यादों के हस्ताक्षर से साथी
बसंत की ख़ुशबू आती है
-संध्या
हरसिंगार की सबसे ऊँची फुनगी पर
नयी कोंपल सहमी हुई बाहर आती है
छोटी बहना हठ करके जब
सरसों के पीले खेत दिखाती है
जाड़े की बारिश में भीगते हुए जब
तुम्हारे शहर की चाय याद आती है
और हर बूँद तस्वीर तुम्हारी लाती है
लम्बा इँतज़ार और कुछ पल की मुलाक़ात के बाद
जब स्टेशन की भीड़ छँट जाती है
अहाते में फिर से बुलबुल की
आवाजाही बढ़ जाती है
नोटबुक की एक नज़्म जब
पतझड़ों से न डरने की हिदायत दे जाती है
तुम्हारी यादों के हस्ताक्षर से साथी
बसंत की ख़ुशबू आती है
-संध्या
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