ये सिर्फ़ क़िस्सा था
सदियों के बीच
जो निबाहता है आज भी
हिस्सा अपना अपना
वरना चाँद आसमाँ में कभी
उगा नहीं और
सूरज मर गया होता
कब का
समंदर के पानियों में
डूबकर
-संध्या
सदियों के बीच
जो निबाहता है आज भी
हिस्सा अपना अपना
वरना चाँद आसमाँ में कभी
उगा नहीं और
सूरज मर गया होता
कब का
समंदर के पानियों में
डूबकर
-संध्या
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