हर तीज त्यौहार पर
होती है तुम्हारी पूजा
घंटे घड़ियाल बजाकर
नैवेद चढ़ाये जाते हैं
तुम्हारे सामने शीश झुकाकर
तुमसे ही छुटकारा
पाते हैं
नवरात्रों में महिषासुर मर्दन
करने वाली
दहेज़ की ख़ातिर
गहरी नींद में ही
जिंदा जला दी जाती है
अजंता एलोरा की गुफाओं में
उकेरे गए तुम्हारे बिम्ब
सदियों से हिस्सा हैं
हमारी महान संस्कृति का
फिर क्यूँ पैरहन पर तुम्हारे
प्रश्नचिन्ह उठाये जाते हैं
बांधती हो ढेरों और दुआएं
बुरी नज़र से बचाने के लिए
फिर एक दिन अचानक
भरे बाज़ार में डायन
करार दी जाती हो
सहन नहीं होती छोटी सी
चोट भी जिगर के टुकड़े की
हंसी आती है तुम पर जब जिस्म पर पड़े
काले निशान
बाथरूम में गिरी थी
कहकर छिपा ले जाती हो
सचमुच!
ज़वाब नहीं तुम्हारा
कभी सीता बनकर
अग्नि परीक्षा देती हो
तो द्रौपदी के रूप में
पांच पांडवों द्वारा
जीत ली जाती हो
अमर हो गयी राधा तुम
कहकर बहलाई जाती हो
अजब प्रेम भी मीरा का
जो विष-प्याला अधरों से
लगाती हो
रूपकुवंर तुम भी हिस्सा हो
उस औरत का ही
मरकर सती मईया
कहलाती हो
नशे में धुत बेटे ने
मार दिया कल माँ को
शायद बूढी उँगलियाँ
रोटी जल्दी न सेंक पाई थीं
नहीं दूँगी उदाहरण
की तुम हवाई जहाज
उड़ाती हो
देश चलती हो
अन्तरिक्ष परी कहलाती हो
देखा था तुमको
पीठ पर बच्चा बांधे
आठ ईंटे सिर पर
ढोते हुए
और अपनी जिद पर आओ तो
इरोम शर्मिला बन जाती हो
बेटी,बहु, माँ और
प्रेमिका बनकर
भारती हो जीवन में रंग
शांति का नोबेल समेटे
आँचल में
औरत कहलाती हो -संध्या
बढ़िया....!!
जवाब देंहटाएंघंटे घड़ियाल बजाकर
जवाब देंहटाएंनैवेद चढ़ाये जाते हैं
भरे बाज़ार में डायन
करार दी जाती हो
दहेज़ की ख़ातिर
गहरी नींद में ही
जिंदा जला दी जाती है
शांति का नोबेल समेटे
आँचल में
औरत कहलाती हो
स्त्री के हालत की सच्ची तस्वीर.... !
नारी की व्यथा कथा को बखूबी उभारा है
जवाब देंहटाएंnihshabd...
जवाब देंहटाएंsatya wachan...