अक्सर सोचा करती थी
तुम होते तो ऐसा होता
तुम होते तो वैसा होता
लेकिन अच्छा है ना
तुम पास नहीं हो
पौ फटने से पहले ही
अपने गीले गेसुओं से
तुम्हें जगाती
घर से जब तुम बाहर जाते
शगुन लगाने को दही का
पीछे से आवाज़ लगाती
जल्दी उठाना है इस ख्याल से
नींद... चाय के बर्तन में
भाप के संग उड़ जाती
अच्छा है ना
तुम पास नहीं हो
तुम्हारी घड़ी,
तुम्हारी फाइल
तुम्हारी टाई
पर्स
रुमाल
इन सबको ढूंढने में ही
थक कर चूर हो जाती
फिर अगले दिन
इसी काम में ख़ुशी ख़ुशी
लग जाती
अच्छा है ना
तुम पास नहीं हो
खाया होगा तुमने कुछ?
इस चिंता में
मैं भी कुछ ना खा पाती
लंच बॉक्स खोलते जब तुम
अलसाई सी मुझ सी
रोटियों संग
जम्हाई मेरी खुल जाती
अच्छा है ना
तुम पास नहीं हो
याद में तुम्हारी
सब्ज़ी फिर से
तीखी हो जाती
जानते हुए भी कि
तुम नहीं आओगे
नज़र दीवार घड़ी पर
टिक ही जाती
जाते हुए तुम्हारा मुझको
फ्रूटी देना
और देखना तब तक तुमको
आँखों से ट्रेन जब तलक
तुम्हारी ओझल ना हो जाती
अच्छा है ना
तुम पास नहीं हो
पास अगर तुम होते तो
मिलन आत्मा का क्या
हो पता
प्रेम के दो शब्द बोलने में
दसियों बार लजाती
सारी रैन चाँद देखते
हुए बिताती
पूजा घर में रखी
तस्वीर तुम्हारी आंसुओं से
धो पाती?
अच्छा है तुम महज़
कल्पना में हो
वरव इतना कुछ क्या
लिख पाती
अच्छा है ना
तुम पास नहीं हो -संध्या
तुम होते तो ऐसा होता
तुम होते तो वैसा होता
लेकिन अच्छा है ना
तुम पास नहीं हो
पौ फटने से पहले ही
अपने गीले गेसुओं से
तुम्हें जगाती
घर से जब तुम बाहर जाते
शगुन लगाने को दही का
पीछे से आवाज़ लगाती
जल्दी उठाना है इस ख्याल से
नींद... चाय के बर्तन में
भाप के संग उड़ जाती
अच्छा है ना
तुम पास नहीं हो
तुम्हारी घड़ी,
तुम्हारी फाइल
तुम्हारी टाई
पर्स
रुमाल
इन सबको ढूंढने में ही
थक कर चूर हो जाती
फिर अगले दिन
इसी काम में ख़ुशी ख़ुशी
लग जाती
अच्छा है ना
तुम पास नहीं हो
खाया होगा तुमने कुछ?
इस चिंता में
मैं भी कुछ ना खा पाती
लंच बॉक्स खोलते जब तुम
अलसाई सी मुझ सी
रोटियों संग
जम्हाई मेरी खुल जाती
अच्छा है ना
तुम पास नहीं हो
याद में तुम्हारी
सब्ज़ी फिर से
तीखी हो जाती
जानते हुए भी कि
तुम नहीं आओगे
नज़र दीवार घड़ी पर
टिक ही जाती
जाते हुए तुम्हारा मुझको
फ्रूटी देना
और देखना तब तक तुमको
आँखों से ट्रेन जब तलक
तुम्हारी ओझल ना हो जाती
अच्छा है ना
तुम पास नहीं हो
पास अगर तुम होते तो
मिलन आत्मा का क्या
हो पता
प्रेम के दो शब्द बोलने में
दसियों बार लजाती
सारी रैन चाँद देखते
हुए बिताती
पूजा घर में रखी
तस्वीर तुम्हारी आंसुओं से
धो पाती?
अच्छा है तुम महज़
कल्पना में हो
वरव इतना कुछ क्या
लिख पाती
अच्छा है ना
तुम पास नहीं हो -संध्या
जल्दी उठाना है इस ख्याल से
जवाब देंहटाएंनींद... चाय के बर्तन में
भाप के संग उड़ जाती
अच्छा है ना
तुम पास नहीं हो
गजब की कविता, बहुत ही अच्छे बिंबों के साथ!
bahut sundar kavita.अच्छा है तुम पास नहीं हो क्यूंकि
जवाब देंहटाएंतुम पास होते तो ये प्यार जो यादों में परवान चढ़ रहा है इतनी ऊंचाई तक ना पहुँच पाता ...
.में शायद तुम्हारी रुकमनी बन जाती पर मेरा नाम राधा की तरह जन्म जन्मान्तर तक तुम्हारे साथ ना जुड़ पाता ...
अच्छा है तुम पास नहीं हो ...
पास अगर तुम होते तो
जवाब देंहटाएंमिलन आत्मा का क्या
हो पता
....
बहुत सुन्दर और भावमयी....प्यार किसी रिश्ते, बंधन या नाम का मोहताज़ नहीं होता. आत्मिक प्रेम इन सब बंधनों से बहुत ऊपर है. कोमल अहसासों को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं ...बहुत उत्कृष्ट अभिच्यक्ति..
पास अगर तुम होते तो
जवाब देंहटाएंमिलन आत्मा का क्या
हो पता
....सुन्दर भावमयी और कोमल अभिव्यक्ति..
bahut khoob !
जवाब देंहटाएंjane kyun is khyaal se ki tum paas nahi ... mann khaali khaali sa ho gaya
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी रचना...
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