घर से निकलें तो जूते में पैर डालने से पहले ज़रा सोच लें.इसे महज़ एक जूता न समझें. क्यूंकि पिछले कुछ दिनों से जूते डिमांड में है.क्या पता आपके पैर के जूते के दिन कब,कहाँ किस सभा में बहुर जायें. और आपका जूता सेलिब्रिटी बन जाये.मीडिया में में रात दिन का कवरेज मिलने लगे कि देखिये ये वाही जूता है ...इसे गौर से पहचान लीजिये वगैरह वगैरह.एक जूता आपको रातों रात स्टार बना सकता है.जितना ऊंचा सिर जूते के लिए चुनेंगे उतनी ही ब्रांड वैल्यू.जूतों कि माला के दिन अब गए.बिलकुल शॉर्ट एंड सिंपल.विरोध की कूट भाषा,भीड़ में जूता उछाल दीजिये.बाकि का काम तो जूते का दीवाना मीडिया कर डालेगा.अब आपको जूतमपैजार की पवन कथा सुनाते हैं. जूतापुराण का हमारे यहाँ धार्मिक महत्त्व है.भरत ने राम की खड़ाऊं पूजन कर उन्हें सिंहासन पर बिठाया था. फिर जैसे जैसे जूते का रूप रंग बदला ये मल्टीपरपज होता गया.लोग जूता देखकर आदमी की हैसियत का अंदाज़ा लगाने लगे.तो कईओं ने जूते जैसी चीज के संग्रह का शौक पाल लिया.कभी किसी बड़े वाले के घर में पुलिस रेट डालती है तो लाखों के जूते हाथ लगते हैं.अप सबसे के छिपाना हम भारतीयों की आदत तो जानते ही है आप.पते की बात ये है की ये जूते वाला आईडिया भी इम्पोर्टेड है.वो अमरीका वाले बुश जी हुआ करते थे न, उन पर मुन्तज़र अल जैदी नाम के क्रिएटिव पत्रकार ने इसका शुभारम्भ किया था.बस फिर क्या था हमने लपक लिया इसे.चिदंबरम जी से लेकर प्रशांत भूषन और केजरीवाल जी तक इसकी शोभा बढ़ा चुके है.तो आपका जूता जापानी है या हिन्दुस्तानी इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.बस कुछ हटकर कर दिखाइए इससे.
वैधानिक चेतावनी-कोई भी प्रतिक्रिया देने से पहले कृपया जूते चप्पल उतार दें.
Fantastic expressions :)))
जवाब देंहटाएंSAB BADHIYA HAI .....
जवाब देंहटाएं