एक रंग से तुम्हारे
अंगूठे ने
उकेर दिये थे क़ागज़ पर
बिना छुए मेरी उंगलियों की
पोरों पर अंकित
दसों शंख और चक्र
-संध्या(विशाल कृष्ण सिंह जी की एक thumb painting को देखकर लिखी गयी)
अंगूठे ने
उकेर दिये थे क़ागज़ पर
बिना छुए मेरी उंगलियों की
पोरों पर अंकित
दसों शंख और चक्र
-संध्या(विशाल कृष्ण सिंह जी की एक thumb painting को देखकर लिखी गयी)



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