
एम्बेसडर का सायरन आपके कानों में लगा दिया जाये और उसपर भारत सरकार का बैनर टांग दिया जाये.इस ज़माने के किसी पढ़े-लिखे को किसी नेता की रैली में उसकी बकैती सुनने के लिए निपट अकेला छोड़ दिया जाये.आज के बच्चों को उनके मोबाईल से महज़ पच्चीस सेंटीमीटर दूर कर दिया जाये या फिर फेसबुक पर च टियाने से रोक दिया जाये. नेताओं से एक घंटे सच बोलने को कहा जाये. पुलिस गलती से मौका -ए-वारदात पर पहुँच जाये. फास्ट टरैक अदालतों के मुकदमें महीनेभर में सुलट जयेएं.पडोसी का कुत्ता घर के दरवाजे को खम्भा समझकर टांग उठाकर चला जाये तो..तो समझो नामवाधिकार लुट रहा है मेरी जान.
अमरीका डार्लिंग को इराक,अफगानिस्तान में नामवाधिकार की जाँच कास ठेका दे दिया जाये,आईएसआई को नोबेल प्राईज़ से नवाज़ा जाए.ड्रैगन को इसकी देख-रेख में भिड़ा दिया जाये. इजराईल और इरान को आपस में समधी बना दिया जाये.लिट्टे को श्रीलंका में लोकतान्त्रिक पार्टी का तमगा दे दिया जाये.प्रधानमंत्री के रूप में दलाईलामा ड्रैगन को बौद्ध धर्म ग्रहण करवाएं.मदर इण्डिया इन सबको गोद में बिठा कर सामान प्रेम बरसाएं तो... तो समझो नामवाधिकार लुट रहा है मेरी जान.
तुम छींको तो जुकाम मदर इण्डिया को हो जातो है.घुड़की तो दे ली कश्मीर को लेकर फिर क्यूँ इतना खार खाए बैठे हो लंका मेरी जान. और पाकीजा तुम तो जिंदा ही हो बस मेरे विरोध पर. जीने मत देना मुझको और हम तुम्हें आक्सीज़न देते रहेंगे मेरी जान. सवा सौ- सवा सौ चूहे खाकर क्यूँ हज पर जाती हो अमरीका मेरी जान....तो कहीं भी कभी भी जब आपकी जान पर बन आये तो...तो समझो नामवाधिकार लुट रहा है मेरी जान
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