इस कलयुग में ऐसा कौन है जो सिर्फ देना जानता हो. देना जी बैंक वालों का तो बट्टा लग गया. आपकी छठी इन्द्रिय विकसित मानी जाती है. जिससे सब कुछ पहले ही जान लेते हैं यानि जो न घटित होने वाला हो वो भी घट जाता है.भई जोगी जी वाह! कहीं जनरल सिंह वाला तोप- पत्र आपकी इन्द्रिय ने ही तो नहीं लीक कर दिया. आपके भक्तगण इन्द्रिय विहीन हो गए हैं तभी तो छठी इन्द्रिय आपके हाथ लगी. आप फोन पर बात करके ही गंभीर समस्या का अंत कर देते है. अगर रात रात भर लोग आपसे फोन पर बात करेंगे तो नशीली बातें करने वाली टीना और डॉलीका क्या होगा.क्यूँ पेट पर लात मरते हो उनकी. आपके समागम का प्रसारण 25 घंटे चैनलों पर हो रहा. क्या जुगाडमेंट किया है धंधे में फिट होने का. जब लोग दिन के चौबीस में से पच्चीस घंटे उद्धार करवाएंगे और निपटने तक के लिए नहीं उठेंगे तो बीमारियाँ प्रसाद स्वरुप मिलेंगी. लौट के फिर आपसे उद्धार करवाने आयेंगे. दुकानदारी की छठी इन्द्रिय दस दिनों के भीतर विकसित की है. भई जोगी जी वाह!
रेलवे वालों को आपसे सीख लेनी चाहिए. दो साल के बच्चे की रजिस्ट्रेशन फीस दो हज़ार है. हाफ टिकट का चांस ही नहीं है. योग बाबा, श्री श्री बाबा, आशा वाले बाबा सबसे आगे निकल गए...दस साल पहले ठेके वाली फील्ड में थे . न न गलत मत समझिये फील्ड बिना बदले ही माल बदल दिया है. आशीर्वाद देने का स्टाईल भी अलग. फेसबुक पर लाईक करो और आशीर्वाद अपडेट. भई जोगी जी वाह! कबीर जी अगर आप होते तो यही कहते कि निर्मल नियरे राखिये फेसबुक पर फ़ॉलो कराय, बिन दारू दवा के चौकस करे सुभाय.
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