दुनिया पूछती है मेरी ख़ामोशी का सबब मुझसे
ज़रा सी याद तुम्हारी आई है और कोई बात नहीं
दिल में बसी तस्वीर धुंधली नज़र आती है
आँखों में उतर आई है और कोई बात नहीं
तेरी महफ़िलों में हम भी हैं आजकल
वफ़ा तुमसे हो गयी है और कोई बात नहीं
बाग़ के सब फूल चुन लिए उसके लिए
कांटे मेरे हिस्से में आये हैं और कोई बात नहीं
भीड़ में कोई उंगली तेरे जानिब न उठे
निगाह इसलिए चुरायी है और कोई बात नहीं
अंधेरों से न हो वास्ता रौशन तेरा घर रहे
दिल अपना जलाया है और कोई बात नहीं
- संध्या
ज़रा सी याद तुम्हारी आई है और कोई बात नहीं
दिल में बसी तस्वीर धुंधली नज़र आती है
आँखों में उतर आई है और कोई बात नहीं
तेरी महफ़िलों में हम भी हैं आजकल
वफ़ा तुमसे हो गयी है और कोई बात नहीं
बाग़ के सब फूल चुन लिए उसके लिए
कांटे मेरे हिस्से में आये हैं और कोई बात नहीं
भीड़ में कोई उंगली तेरे जानिब न उठे
निगाह इसलिए चुरायी है और कोई बात नहीं
अंधेरों से न हो वास्ता रौशन तेरा घर रहे
दिल अपना जलाया है और कोई बात नहीं
- संध्या
भीड़ में कोई उंगली तेरे जानिब न उठे
जवाब देंहटाएंनिगाह इसलिए चुरायी है और कोई बात नहीं ....
उत्तम
मुकम्मल अशआर...
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