अभी कुछ दिनों पहले ही,
मन पहुँच गया था तुम तक,बस यूं ही बेखयाली में,
शब्द बनकर बाहर आ गए थे,
मेरे भीतर से तुम,
अभी कुछ दिनों पहले ही.
पाने से पहले ही तुम्हें,
खोने के डर से,
आँखें बरसी बहुत थीं,
बादलों के संग,
अभी कुछ दिनों पहले ही.
वो दूर बस्ती की मस्ज़िद से,
आती अज़ान सुनी थी,
नेमत ख़ूब है ख़ुदा की,
ये सोचकर तुम्हें,
माँगा था दुआ में,
अभी कुछ दिनों पहले ही.
महज़ कल्पना में जब,
यूं हो तो,
सामना हकीक़त से कैसे होगा,
इसी सोच में रोटियां ...
जली थीं कई,
अभी कुछ दिनों पहले ही.
शाखें पेड़ की जो,
डूबी थीं तालाब में,
पानी उतर गया है वापिस..
तुम्हारे मुझ में मिलने के साथ,
अभी कुछ दिनों पहले ही,
अभी कुछ दिनों पहले.........
इसी सोच में रोटियां ...
जली थीं कई,
अभी कुछ दिनों पहले ही.
शाखें पेड़ की जो,
डूबी थीं तालाब में,
पानी उतर गया है वापिस..
तुम्हारे मुझ में मिलने के साथ,
अभी कुछ दिनों पहले ही,
अभी कुछ दिनों पहले.........
अभी कुछ दिन पहले ही देखा था एक गुडिया को कागज पर कुछ पंक्तियाँ उकेरते
जवाब देंहटाएंआज खेल रही है वो शब्दों से कितनी सह्जता से
अभी कुछ दिन पहले
बधाई