जानती हूँ....
जब मैं तन्हां होउंगी
मेरे इर्द -गिर्द
बस तुम्हारी यादों का
घेरा होगा
तब मुझसे बतलाने को
छा जायेगा
तुम्हारे प्यार का मौसम
दुनियाभर की बातें
और चेहरों का दोगलापन
घुटन सी जब होगी
साँस लेने में
बसंती हवाओं सा छा जायेगा
तुम्हारे प्यार का मौसम
जर्जर शाखों से लगे
पीले पत्ते और उनकी खड़खड़ाहट
मुंह चिढ़ाता बूढ़ा पीपल
हरियाली को
सारे रंग फीके पड़ जायेंगे जब
लहलहाती पीली सरसों सा
छा जायेगा
तुम्हारे प्यार का मौसम
मेघ बनकर कब तक
ढँक पाओगे मुझको
मैंने भी नहीं
ओढ़ा है आँचल इस उम्मीद में
रिमझिम बूंदों से बरसोगे
और सोंधी मिट्टी सा महक उठेगा
तुम्हारे प्यार का मौसम
पता था हमेशा से ही
नहीं बांध सकूंगी तुम्हें
इसीलिए खींची थी लक्ष्मण रेखा
अपनी इच्छा से चारों ओर
आंगन में लगी नीम भी
हिस्सा है है उसका
संसार बसाती उस पर गौरैया
खुरदुरे तने पर चढ़ती अमरबेल सा
छा जायेगा
तुम्हारे प्यार का मौसम
इल्म है मुझे
हमेशा नहीं रहेगा
सिंदूरी शाम सा हसीन
तुम्हारे प्यार का मौसम
लेकिन उम्मीदों की गांठ
अब तक ढीली नहीं की मैंने
गुलमोहर के ठूंठ सा ही सही
तुम्हारे प्यार का मौसम
नहीं रखी है तुम्हारी कोई
तस्वीर अपने पास
न ही जड़ा है कोई खाली फ्रेम
तुम्हारी यादों का दीवार पर
हर बंधन से मुक्त
झील के ऊपर उड़ते
प्रवासी पंछियों सा
छा जायेगा
तुम्हारे प्यार का मौसम
नहीं किया आज तक
कोई सवाल अपने शाश्वत प्रेम पर
इन ऋतुओं के साथ
रहेगा किसी न किसी रूप में
सदा मेरे पास
तुम्हारे प्यार का मौसम
------------------संध्या
(ये कविता मैंने रश्मि जी की कविता से प्रेरित होकर लिखी है जो कुछ इस तरह है..)
तुम्हारे प्यार का मौसम
by Rashmi Sharma on Tuesday, 22 November 2011 at 14:39
सुर्ख फूलों से
कब तक भरा रहेगा
मेरा आंगन....
और कब तक गूंजेगामेरे कानों में
गौरयों के चहचहाने का स्वर...
क्या नीले आकाश में
हमेशा,
यूं ही अचानक उगा करेगा
मेरे सपनों का इन्द्रधनुष...
बताओ न
कब तक रहेगा
तुम्हारे प्यार का मौसम ??
बहुत अहम है
यह सवाल
क्योंकि
जब खत्म हो जाएगा
तुम्हारे प्यार का मौसम
सारे फूल
झड़ जाएंगे डालों से
और छोड़ जाएंगी
गौरैया भी
मेरा आशियाना....
तब
लगातार होगी बारिश
मगर सात रंगों का
नहीं उगेगा आकाशी इंद्रधनुष।
इसलिए जरूरी है
कि तुम्हारे प्यार का मौसम
जब खत्म होने वाला हो
उससे पहले
कुछ फूलों को
अपने आंचल में भर लूं...
पक्षियों के कलरव को
यादों में समेट लूं...
और तुम्हारे प्यार के
सप्तरंग को
अपने कमरे की दीवारों पर
चिपका दूं
ताकि
चलती सांस तक
यह अहसास कायम रहे
कि तुम्हारा प्यार
मौसम की तरह
नहीं बदला करता...वो पलता है
हमारे अंतस में
......शाश्वत
सूरज-चांद की तरह.....।
प्यार का मौसम अपने आप में ही खूबसूरत होता है...संध्या,तुम्हारी कविता ने इसे और खूबसूरत बना दिया.
जवाब देंहटाएंघुटन सी जब होगी साँस लेने में
जवाब देंहटाएंबसंती हवाओं सा छा जायेगा
तुम्हारे प्यार का मौसम
BEAUTIFUL SUPER SILENT EXPRESSION.