गुरुवार, 24 मार्च 2011

                                                                ये दोस्ती............
दोस्त,
              आज तुमसे बहुत दिनों बाद मिली हूँ. होली का मौका न होता तो तुमसे मिलना भी न होता. इतनी जिद्दी होने के बाद भी तुम्हारे सामने मेरी एक नहीं चलती. सच है की दोस्ती ऐसा रिश्ता है जिसमे हम एक दूसरे के लिए खुली  किताब होते हैं. जिंदगी के किस पन्ने पर कब क्या लिखा गया हम जानते हैं. जिगरी दोस्तों के साथ यादों के ये पन्ने साझा भी होते हैं. कितने कारनामों को हमने साथ में अंजाम दिया और कौन सी बात कैसे घरवालों से छुपानी है हम अच्छी तरह से जानते हैं. जब भी कोई परेशानी होती है तो सबसे पहले दोस्त ही याद आते हैं. तुम हमेशा कहा करती हो की जिसके साथ दोस्ती होनी हो तो चार दिन भी नहीं लगते. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की हमने साथ कितना वक़्त बिताया. सच ही कहती थी ,तुम जो भी कहती थी. जब मैं तुमसे मिलने  गयी तो तुम मुझसे मुस्कुराते हुए मिली. लेकिन मैं पहली नज़र में ही समझ गयी थी की ये हंसी बनावटी है. 'कोई बात नहीं है' कहकर तुमने अपनी परेशानी छुपाने की भरपूर कोशिश की लेकिन दोस्त ! आंखें सब बोलती हैं. और कमबख्त आंसू मौका और नजाकत भी नहीं देखते बस निकल आते हैं. तुम्हारे मन की बात मुझे पता है और शायद तुम्हे भी इसका अंदाजा है. लेकिन मैं तब तक चुप रहूंगी जब तक तुम सब कुछ नहीं कह देती. मुश्किल दूर करने का दावा तो नहीं करती लेकिन हम मिलकर इसे आसान करने का रास्ता ज़रूर निकाल लेंगे. इसी का नाम तो दोस्ती है. 
                                                                                              दोस्त! सब मिलने आये  ,लेकिन तुमसे मिलना इस बार भी न हुआ. याद है ! दोनों ने साथ में नर्सरी क्लास में दाखिला लिया था. स्कूल के  पहले दिन हम कैसे रो रहे थे. जब हमारे अन्दर भावनात्मक समझ आनी शुरू  हुई तो अक्सर तुम मुझे तेज बच्चो से बचाने के लिए मेरी तरफ से भिड़  जाया करती थी. हमारी दोस्ती में समोसे की जगह कोई नहीं ले सकता. ज़िदगी के सबसे स्वादिष्ट   समोसे हमने साथ खाए हैं .आज भी जब पुरानी डायरी पलटती हूँ तो तुम्हारे  दिए चिड़ियों के पंख मिलते है, नोटबुक में तुम्हारे बनाये मेरे स्केच आज भी उतने ही जीवंत हैं . उसमें में लिख कर की गई बातें  बोलती हैं. याद है कैसे कैसे आपने से ज्यादा मेरे रिजल्ट की चिंता रहती थी. तुम्हारा बनाया मेरा स्टडी टाइम टेबल आज भी  उस वक़्त को थामे हुए है. कितना कुछ है कहने और सुनने को हमारे बीच. दोस्ती है ही ऐसा अहसास, जिसमे कोई गिले-शिकवे नहीं होते. मुझे यकीन है इस बार जब भी हम एक दुसरे से टकरायेंगे तो शुरुआत हमेशा की तरह गालियों से होगी. ऐसा लगेगा की अभी कल ही तो मिले थे. कुछ देर तक दोनों बीच सड़क पर ही लड़ते रहेंगे, कुछ पल के लिए बस मुस्कुराते रहेंगे और फिर बात समोसे से शुरू होगी . इतने वक़्त में हम दोनों एक दूसरे का हाल-चाल लेना भूल जाएँगे और विदा लेते समय लगभग चिल्लाते हुए पूछेंगे - 'अरे तुमने तो बताया ही नहीं कि कैसी हो?.............'
                                 
                                                                                                                             तुम्हारी दोस्त   

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