गंगा मैया में जब तक पानी पानी रहे , मेरे सजना तेरी जिंदगानी रहे . हरिद्वार कि धरती पर 5 oct 2010 को कदम रखते ही यही वो गाना था जो हर कदम पर सुनने को मिला . पता नहीं वहां के सरे सजना मौत से जूझ रहे थे कि नहीं लेकिन सजनियों को जूझते जरूर देखा . यही तो खसियत है भारतीय सजनियों के , कि वो बड़ी नादाँ हैं . अपने सजना को ठीक तरह से समझ नहीं पाती . दुसरे ये यह नहीं जानती कि जिस गंगा मैया पे इनको इतना भरोसा है, वो भी एक दिन मिस्टर
इंडिया हो जाएँगी .
गंगा स्नान के लिए भीड़ ऐसे जैसे किसी शोपिंग माल में बम्पर सेल लगी हो . सुबह चार बजे से ही पापों को पुण्य में बदलने का सिलसिला शुरू हो चुका था . उजाला होते -होते ऐसा लगा कि मुझे छोड़कर हरिद्वार कि धरती के सभी लोग पवित्र ho चुके हैं . जैसे बॉलीवुड कि शहरी नायिका गाँव देखक कर हैरान होती है , मेरी हालत
भी घाट पर पहुँच कर वैसी ही थी . पहला दर्शन घाट पर वसूली करने वाले सरकारी गार्ड से हुआ . जो बेचारे पहली बार पाप धुलने आए थे , वो फंस रहे थे और जिनकी आदत पड़ चुकी थी वो उसे भी गोली टिका रहे थे . जैसे हम एक देवता को चढ़ावा चढ़ा कर दुसरे को पेंडिंग में डाल देते है . गंगास्नान करते समय लोगों को उसकी पवित्रता पर इतना भरोसा था
जैसे कि उन्हें नहाने के लिए मिनरल वाटर मिल
गया हो . कुछ भाई लोग साथ में लायी गयी चीजो पर पानी छिड़क कर पवित्र करने के साथ -साथ कपडे भी धुल रहे थे . क्यों न धुले , ऐसी सफेदी और स्ल्हुधता कि गारेंटी तो रिन सुप्रीम भी नही देता . मै गंगा स्नान के बारे में सोचती कि इससे पहले एक दृश्य ने मेरा इरादा बदल दिया . पास में पड़ इक पागल और बीमार आदमी के पास से लोग नाक पर रुमाल रखकर ऐसे गुजर रहे थे जैसे किसी अमेरिकन को मुंबई कि झुग्गियों में पहुंचा दिया
गया हो . लोग गंगा को देवी समझते हैं . एक दुबकी लगा कर सरे पाप धो लेने का दावा tide की सफेदी की तरह करते हैं . पूजाघरों में गंगाजल का होना जरउरी मन
गया है . अगर मरते समय इसकी दो बूँद भी मिल जाये तो ऐसा मन jata है की पस्सेंगेर क्लास के आदमी को a.c. क्लास ka टिकेट मिल
गया हो . बॉलीवुड नेब ही गंगा लगायी हैं . सत्तर के दशक में ‘गंगा तेरा पानी अमृत ’ थी . दस साल बाद राजकपूर की नजरों me ‘राम तेरी गंगा मैली हो गयी ’.
मुझे नही पता की हम ऐसे क्यों हैं ? जिसे माँ कहते भैन उसे मैला धोने वाली क्यों बना दिया .
गंगा किनारे लोग हलके (shaoch) हो लेते हैं . क्या हम अपने पूजा घरों में भी ऐसा करते हैं ?
गंगा अज नदी नही नाला बन चुकी है . हमारी आस्था और तौर तरीको पर कोई फर्क नही पड़ेगा , जैसे बड़े की जगह मिनी लक्स के आने पर .
tussi gr8 ho..mast hai ye waala bhi..!!
जवाब देंहटाएंsandya bahut aacha likhti ho dil aa gaya yaar aisa hi likhti raho
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