दिन उमस भरे हैं...बोझिल बादलों ने इंकार कर दिया है...दूसरों का हिस्सा ले जाने से...हवाओं में सख़्त नमी है...इतनी की सांस लेने भर से घूँट भर जाये...क्या कहते हो अब तो आँखों ने भी...इसकी हामीभर दी है.
(उमस वाले बादलों ने धोखा किया...आपस में झगड़े और जमकर बरस गये...मैं नम आँखों से उन्हें बरसता देखा किया)
-संध्या
(उमस वाले बादलों ने धोखा किया...आपस में झगड़े और जमकर बरस गये...मैं नम आँखों से उन्हें बरसता देखा किया)
-संध्या
उफ़्फ़ , यह उमस
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