तुम माहिर थे...
शब्दों की गोटियाँ बिछाने में
शतरंज के किसी खिलाड़ी जैसे
लिख डाला एक एक लम्हें का हिसाब
प्रेम उपन्यासों और कविताओं में
जवाब में मैंने लिखा
महाकाव्य
जिसमें लिखे थे सिर्फ़
ढाई आख़र के हर संभव पर्यायवाची
-संध्या
शब्दों की गोटियाँ बिछाने में
शतरंज के किसी खिलाड़ी जैसे
लिख डाला एक एक लम्हें का हिसाब
प्रेम उपन्यासों और कविताओं में
जवाब में मैंने लिखा
महाकाव्य
जिसमें लिखे थे सिर्फ़
ढाई आख़र के हर संभव पर्यायवाची
-संध्या
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