सोमवार, 18 जून 2012

prempatra

जब मोहब्बत की निशानी ताजमहल
और चीन की दीवार जैसे
बेजान आश्चर्यों को बनाते हुए
मारे गए थे जिंदा लोग
और कुछ के काट दिए गए थे हाथ
उन सबके नाम
मैंने लिखा था एक प्रेम पत्र
मानचित्रों में बनती धरती
पनडुब्बियों से नपा समंदर
मिसाईलों - उपग्रहों से हथियाए
गए आकाश गए नाम पर
जब मशीनों से विकसित कुछ देशों के
मानव रहित विमान अमादा हैं
पूरी सभ्यता के खात्मे को
इन जंगों में बहे खून और पसीने के नाम
मैंने लिखा था एक प्रेम पत्र
जो धूप में निकलने पर
हो जाते हैं लाल
गुस्से से पीले पड़ते है
ठण्ड में गुलाबी
डर से सफ़ेद और
जब किसी अश्वेत को 'कलर्ड' कहते समय
ये गिरगिट से रंग बदलते
हो जाते हैं रंगहीन
उन सब काले लोगों के नाम
मैंने लिखा था एक प्रेम पत्र
कभी सत्ता के नाम पर
चौक पर चल जाते हैं बुलडोज़र
और परिवर्तन की मांग करती
आवाजें दब जाती हैं
हड्डियों की चरमराहट तले
धर्म के नाम पर
भड़का दिए जायेंगे दंगे
किसी गैस त्रासदी में सो जायेंगे
पूरे शहर के शहर
उन सामूहिक कब्रों के नाम
मैंने लिखा था एक प्रेम-पत्र --------------------------------------------------संध्या
























































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