मंगलवार, 10 अप्रैल 2012

हद कर दी मौलाना जी

हे मदिरा मईया तुमने मुझे क्या कुछ नहीं दिया. आपके सानिध्य में मैं खुद को ओबामा, शाहजहाँ समझता रहा.सडक़ को सडक़ नहीं समझी रात रात भर पड़ा रहता था.कितनी सरकारें ठेके पर बैठ कर बनायीं बिगाड़ी. जो दिव्य दृष्टि आपके सेवन से पाई वो लन्दन के बड़े बड़े डाक्टर तक न दे पाए.बंद आँखों से जो नज़ारे देखे वो खुल्ली आँखों से भी न दिखाई दिए. पर हे मदिरा मईया अब सोचता हूँ की पीना छोड़ दूं.
                                         मेरी पड़ोसन अपने पियक्कड़ पति को समझ रही थी कि चुप रहो वर्ना फ़तवा आ जायेगा. पडोसी को जितना मन हो गरियाना, चाहो तो ताजमहल किराये पर उठा दो, ओबामा को ड्राईवर बना लो, एन्जिलिना जोली को कामवाली बना लो मगर चुप रहो वरना फ़तवा आ जायेगा. दारु उलूल जुलूल के पप्पू ने फ़तवा जारी किया है कि इस्लाम में सोमरस पीना गुनाह है पर तुम पियो और ऐसे वैसे मत पियो, दबा के पियो बस तलक न कहियो दारू पी के. पप्पू जी इस्लाम कि पांचवी कभी पास ही नहीं का पाए. कहीं महिलाओं को ही इस्लाम में गुनाह न साबित कर दें दारु पी के.
                                           इधर कुछ दिनों से बदले बदले से सरकार नजऱ आते हैं.  कुछ कहावतें बदलने के आधार नजऱ आते हैं. जैसे कि मुल्ला की दौड़ बस महिला तक, आसमान से गिरे और महिला पर अटके.मालाएं छोटे कपडे न पहने,मोबाईल पर बात न करें. महिलाएं अगर न होती तो मुल्ला न होते, मुल्ला न होते तो फतवे न होते. सब कुछ जोड़ घटा जके पियक्कड़ों सावधान! सब कुछ करियो पर तलक तलक न खेलियो दारु पी के वर्ण अवाही वाला फ़तवा आ जायेगा. तो साथ में कहिये..... लकड़ी की काठी काठी का ???? का घोडा बिल्कुल नहीं. काठी का कठमुल्ला.

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