बुधवार, 25 अप्रैल 2012

प्लीज़ बनवा दीजिये न



बड़ा खऱाब समय चल रह है। अबकी बार शनि की साढ़े साती नहीं बल्कि मूर्तियों की साढ़े साती लगी हुयी हुई है। सडक़ पर पड़ी किसी भी चीज़ को हाथ लगाना मना है खासतौर पर पत्थरों को क्यूंकि धमाका हो सकता है। कोई भी पत्थर मूर्ति के रूप में निकल सकता है और पार्क के किसी पत्थर या मूर्ति को तो बिलकुल हाथ न लगइयो। पता चला हाथ यहाँ लगाया और दंगा पूरे देश में भडक़ गया। हमारी एक सलाह है आतंकियों को; बम धमाके करने की जगह बस जरा सा किसी मूर्ति को छेड़ दो फिर देखो। जब मूर्तियाँ निकलतीं हैं भारत भूमि से तब जो होता है वो दुनिया की किसी भी धरती पर नहीं होता। पहले मूर्तियाँ निकलती थीं तो मंदिर बनते थे इधर सुनने में आया है कि मूर्तियों के आस पास अस्पताल, कॉलेज बन सकते हैं। प्लीज़ हमारे यहाँ भी कोई मूर्ति लगवा दीजिये न।हम जनता बेचारी तरस गए हैं सस्ते और अच्छे अस्पतालों और स्कूलों को।।। जितने बीहड़ और गए गुजऱे टाईप के इलाके हैं सभी जगह बाबा साहेब, बहन जी और मान्यवर जी के बड़े वाले आदमकद प्लीज़ लगवा दीजिये न जिससे हमारी भी मुराद पूरी हो जाये। बड़ा अजीब शहर है जिंदा लोगों की परवाह नहीं और मुर्दों के नाम पर कटे मरे जाते हैं।रही बात मूर्तियों की तो इसकी गौरवशाली  परंपरा पाई जाती रही है हमारे यहाँ। राम लला वाली जन्मभूमि पर अस्पताल-स्कूल बनवाने की बात कब से चली आ रही है पर वहां के लिए किसी ने बीड़ा न उठाया। पार्कों में अस्पताल बनवाने की बात छिड़ी है, छिड़ी है तो बस छिड़ी ही रहेगी। जीते जागते इंसान नहीं मूर्तियाँ भी हिस्सा हैं राजनीति का तो मिर्ची तो लगनी ही थी ।मुर्दों की मूर्तियाँ होती तो न लगती। मूर्ति भी ऐसी वैसी नहीं है सिर्फ पर्स टांग रखा है पंद्रह लाख का। मुझे नए सीएम जी ने ये खबर दी। सीएम जी आपको कैसे पता कि मुख्य मंत्रियों के पर्स में इतने रूपये होते हैं। प्लीज़ हमें वो वाला पर्स दिलाइये नहीं बस दिखा दीजिये न। इतना बखत हो गया मुख्य  वाले मंत्री बने अब चुगली न करिए पिछली सरकार की। काम पे ध्यान दीजिये न। अब माया मोह छोडक़र जरा देख तो आईये पानी आ गया है शहर की टोटियों में.... कीड़ेवाला। अब बनवाने को सोच ही लिया है तो प्लीज़ पानी की व्यवस्था करवा दीजिये जिसे पीकर मरें न लोग, ऐसे अस्पताल बनवा दीजिये  जिसमें  डॉक्टर और दवाएं पाई जाती हों। ऐसे थानों की व्यवस्था कीजिये जहाँ के पुलिस वालों को कम से कम रिपोर्ट दर्ज करनी आती हों।कुछ नहीं तो मुख्यमंत्री जी प्लीज़ रहमान खेडा वाला बाघ ही पकडवा दीजिये न।मुख्य मंत्री जी सुन रहे हैं न आप प्लीज़ बनवा दीजिये....

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