गुरुवार, 5 अप्रैल 2012

मोहे गरीब न कीजो

 एयरकंडीशंड कमरे में बैठकर हजारों का सूट पहने हुए एक साहब जी ने गरीबी को अपने अफलातूनी तराजू बाँट से तोला है.  उनकी मानो तो शहर में 28.65रूपये और गांवों में 22.42 कमाने वाला गरीब नहीं. गज़ब की बनियागीरी लगाई है मानक तय करने में साहब जी ने। साफ़ पता चल रहा है कि परदेश से पढाई कर के आ रहे.  अरे चचा दशमलव की गिनती तो छोड़ दिए रहते.बताओ तो भला अब बेचारा अनपढ़ गरीब कैसे गुणा भाग लगाएगा. गरीबी के मुंह पर खाली जूता मारे होते तब पर भी चलता पर अपने तो भिगो भिगो के मारा है. जो चवन्नी अठन्नी  कोई लेने को तैयार नहीं उसे भी नहीं छोड़ा. पता नहीं कौन सा बखत चल रहा अब गरीब गरीब न रहा . साहब जी ये बताओ कि गरीबी की ये लेडीज रेखा बनाने की कितनी तनख्वाह पाते हैं. गरीबी की फ़ील्ड में बिना उतरे हवाई जहाजी दौरा कर लिया आपने. कैलोरी नाम की लोरी सुन के नींद नहीं आती जब तक अन्न न जाये पेट में.  
                                                       क्या जरुरत थी ये गंजई दिखाने की.चवन्नी अठन्नी के फेर में पड़ गए.वैसे गलती आपकी भी नहीं है. अब राजधानी में कहाँ पाए जाते हैं गरीब. वहां के तो कुत्तों का स्टेटस भी ऊंचा है. गरीबी तो खुजली हो गयी जितना इलाज करो उतना ही बढ़ेगी. राजधानी वाले एक दूसरे का स्टेटस यूं पूछते होंगे. क्यूँ तू कौन सा वाला गरीब है - सायकिल वाला गरीब या फिर मोटरसायकिल वाला.अगर है तो नीला कार्ड बनवा ले. मारुती 800  वाले तो एपीएल कैटेगरी में आते हैं. किटी पार्टियों में लिपस्टिक  बिंदी और साड़ी के बजाय गरीबी चर्चा में है. मिसेज वर्मा मिसेज शर्मा से कह रही थीं आप तो तरक्की कर रहीं हैं अल्टो से मर्सिडीज वाली गरीब हो गयीं. हमको देखिये अब भी मेट्रो वाले गरीब ठहरे. 
                                              गरीबी का भी अपना स्टेटस हो गया है. आईटम सॉन्ग पर  न के बराबर कपड़ों में थिरकती हीरोइनों के दिल से पूछो गरीबी का हाल  या फिर नयी फिल्म के लिए जीरो से माईनस के फिगर में जाती बालाओं से. अबके नवरात्रों में मईया से यही दुआ रहेगी की किसी मंत्री का कुत्ता बना दियो, किसी हीरोईन के पैर की सैंडिल बना दियो पर मईया मोहे गरीब न कीजो.अगर फिर भी कीजो तो सिर्फ एक हवाई जहाज वाला गरीब कीजो, डायमंड वाला न सही गोल्ड वाला गरीब कीजो पर हे मईया कुछ भी कीजो मोहे गरीब न कीजो. साहब जी गरीबी अगर बदनाम हुई है तो सिर्फ आपके कारन. वरना गरीबी बड़े गहरे पानी की मछली थी आप जैसे मछुआरों के हाथ न आनी थी.  पर आ गयी न तो अब देख लीजिये हाल अपनी आँखों से.पता नहीं आपके स्कूलों में वो कहावत  पढाई जाती की नहीं -जिसकी बंदरिया होती है उसी से नाचती है.अगर नचा दी है तो हाल यही गरीबी वाला होगा. साहबजी हमरी न मानो तो  आपने बिग बी से पूछो की कैसे पोलिटिक्स वाली बंदरिया के फेर में पड़े थे.जित्ता रुपया आप बताये रहे उत्ते में तो बच्चे का लंगोट न आवे है आप उतने में गरीबी हटा रहे. पढ़े लिखे लोग बाग ऐसे मजाक कर देते हैं कि पैर तो छोड़ो पूरा का पूरा आदमी जमीन में धंस जाये. मईया ऐसे में सब कुछ कीजो पर गरीब न कीजो.
                                 

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