शनिवार, 27 अगस्त 2011

आठों आज़ादी का

आज बड़े दिनों बाद घोंचू मुझसे टकरा गया. एक हाथ में काली  पट्टी बांधे और दुसरे में तिरंगा थामे. टकराते ही बोला भ्रष्टाचार मिटा के रहेंगे देश को आजाद कराकर रहेंगे. मैंने कहा संभल के ज़रा तू भी अन्ना नाम की आंधी में उड़ा जा रहा है और देश तो ६४ साल पहले ही आजाद हो गया है. तुझे यक़ीन न हो तो याद दिला दूं कि अभी पिछली 15 को ही 64वाँ पर्व मनाया आज़ादी का. घोंचू- जनता हूँ तुमने बस उसी दिन मनाई होगी आज़ादी. मैं तो आठों मना रहा हूँ आज़ादी का. सुनते ही कान खड़े हो गये मेरे.होली का आठों सुना,दिवाली दो दिनों की सुनी यहाँ तक कि नवज़ात के जन्म लेने पर छठी के बारे में सुना था जिसमें उसके सीधेपन और कमीनेपन की नींव धरी जाती है.लेकिन आजादी के आठों वाली बात पल्ले न पड़ी मेरे कसम से.  खुरपेंची दिमाग मेरा रहा न गया.अपनी शंका रख दी उसके सामने. चेहरा भांप लिया उसने मेरा. जैसे मीडिया ने अन्ना को भांपा.विस्तार से रायता फैलाना शुरू किया घोंचू ने कसम से. पूछने लगा मुझसे कौन सा अचार पसंद है खाने में.मैंने जवाब दिया इस मंहगाई में खाने को मिले यही बहुत है.अचार तो दूर की कौड़ी है कसम से.घोंचू- झूठ न बोल जनता कहीं की.अचार तो सबकी थाली में है जो नहीं खाता उसकी में भी.इसके बिना न खाया जा सके न खिलाया.या यूं कह लो हमारे खून में है.हमारे अचार की ब्रांडिंग इतनी तगड़ी है कि तीसरा स्थान मिला पूरी दुनिया में. इसकी पंच लाइन है-'बड़े खेल का स्वाद,राजा कलमाड़ी और रादिया एक साथ'. मेरा मुंह खुला का खुला रह गया.काटो तो खून नही.बाप रे घोंचू तो बड़ा वाला निकला कसम से.चल अब आज़ादी के आठों का कॉन्सेप्ट समझा. घोंचू - देखो हमने पंद्रह को ज़श्ने आज़ादी मनाई. सबकी देशभक्ति जाग गयी. राष्ट्रीय छुट्टी काम काज बंद. बस यहीं से हमने देश की ऐसी की तैसी करनी शुरू कर दी.अब ज़रा एक कदम छलांग लगा चाइना सरीखी और 16 पर आ जा. ये काली पट्टी उसी दिन बांधी हाथ पर. अब वजह न पूछियो. अन्ना ने इसी दिन अनशन शुरू किया जन लोकपाल बिल के लिए.करते भी क्या देश तो हमेशा से ही भूखे नंगों का रहा है.सोनिया सरकार ने जो उनका बिल चूहे के बिल में डालकर कुतारवा दिया था. घोंचू दिग्गी टाईप बोले जा रहा था.जिस थाली में खाए उसमे छेड़ नही बोरवेल किये जा रहा था कसम से.आगे बोला- दूसरा, दूसरा ही रहे है पहला न बन सके.गाँधी जी कहते थे कोई एक गाल पर ठाप्पद मारे तो दूसरा आगे कर दो लेकिन यहाँ तो दुसरे गाल पर ही थप्पड़ पड़ रहा है अब 'का करिहैं अन्ना भैया'. वाह री घोंचू की अन्नागिरी मान गए कसम से.मुन्ना भाई mbbs से भी आगे निकले अन्ना
भाई akks.ये चार हाथ पैर हैं अन्ना के.इन आठ दिनों में देश बने कई रंग देखे.बस मीडिया गांधारी बना अन्ना को ही कवर कर रहा है. सीमा पर सैनिक शहीद हो उसकी बला से. अब तो क़त्ल भी करो और कह भर दो 'अन्ना     
हम तुम्हारे साथ हैं'. बाल भी बाँका न कर सके है कोई. वक़ील भी उतरे अनशन पर. जिनकी कोट के साथ जुबान भी काली हो वो भी उतरे है मैदान में.घोंचू बोले जा रहा था लगातार और आख़िरी में अन्ना नाम की काली पट्टी दिखाते हुए बोला.इस वक़्त चैन से रहना है नहीं तो पाकिस्तानी क़रार दिया जाऊंगा.बहती गंगा में हाथ धो लो और पाप उसे दे दो

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