शुक्रवार, 25 मार्च 2011

book reveiw

The Alchemist Book Coverपुस्तक          - अल्केमिस्ट
लेखक           - पाओलो कोएलो 
हिंदी अनुवाद - कमलेश्वर 
प्रकाशन        - visdam ट्री
मूल्य             - १२५ रु  


सपनों को साकार करने की गज़ब इच्छाशक्ति के पीछे भागती कहानी 'अल्केमिस्ट', प्रसिद्ध ब्राजीली लेखक पाओलो  कोएलो ने लिखी है. ये कहानी दो भागों में बंटी है. 'अल्केमिस्ट' अर्थात कीमियागार यानी कि साधारण धातुओं को सोने में बदलने कि कला. पहला भाग कहानी के मुख्य पात्र सेंटियागो नाम के गरडिये से शुरू होती है. जो जीवन भर सिर्फ घूमना और घूमना चाहता है. एक दिन वह अपने पिता से कहता भी है- "तब यही सही मैं गरड़िया ही बनूँगा". लेकिन सेंटियागो के जीवन में मोड़ तब आता है, जब उसे सपने में एक लड़की दिखती है जो उसे पिरामिडों के देश मिस्र ले जाती है. इसका अर्थ जानने के लिए वह सपनों का अर्थ बताने वाली जिप्सी महिला के पास जाता है. जो उसे यकीन दिलाती है कि मिस्र में उसे छिपा खजाना मिलेगा. इसके बाद उसकी मुलाक़ात एक बूढ़े व्यक्ति से होती है जो वास्तव में सलेम का बादशाह था. बादशाह , सेंटियागो को शकुन- अपशकुन पहचाने वाले पत्थर देता है. इसी के साथ सेंटियागो अपनी भेड़ें बेचकर मिस्र देश कि यात्रा पर निकल पड़ता है. 
                                                                                                       दूसरे भाग कि शुरुआत सेंटियागो के एकल क्रिस्टल व्यापारी कि दुकान में काम करते हुए होती है.जिससे वह पैसे कमा के अपनी यात्रा ज़ारी रख सके. यहाँ सेंटियागो की शकुनो को पहचाने की कला काम कर जाती है. और क्रिस्टल व्यापारी की दुकान पर ग्राहक फिर से आने शुरू हो जाते हैं. क्रिस्टल व्यापारी उसे बताता है कि उसका भाग्य लिखा जा चुका है यानी कि 'मकतूब'. ठीक ग्यारह महीने नौ दिन काम करने के बाद वह उस कारवां का हिस्सा बन जाता है जो पिरामिडों के देश मिस्र जा रहा था. इस कारवां में उसकी मुलाक़ात एक अंग्रेज़ से होती है जो कीमियागिरी सीखने के लिए इन रेगिस्तानों की यात्रा पर निकला है. 
                                                                                       नियति की खोज में सेंटियागो ने धुल भरी आंधियां, खजूर के ऊँचे-ऊँचे पेड़, कई कारवां और सूखे में उम्मीद की ज़िदगी नखलिस्तान भी देखे. सपनों को पूरा करने की दृढ़ इच्छाशक्ति ने उसे क़बेलों में होने वाली लड़ाईयां दिखायीं, उसके प्यार फातिमा और कीमियागार से रोमांचक मुलाक़ात के साथ विश्वात्मा से संवाद करना भी सिखाया था. अंत में वह नियति की खोज में वहां पहुँच जाता है, जहाँ खज़ाना छिपा हुआ था. जब वह अपनी नियति के ठीक सामने होता है तभी उसे पता चलता है की वास्तव में खज़ाना वहां है ही नहीं. खज़ाना तो उस गूलर के पेड़ के नीचे जमीन में था, जहाँ वह दो साल पहले अपनी भेड़ों के साथ आराम किया करता था. सेंटियागो बिना समय गंवाए वापिस लौटकर उस खजाने को पा लेता है और निकल पड़ता है फातिमा को लाने जिससे उसने वादा किया था. 
                                                                                                             ये कहानी पाठकों में उत्साह पैदा करती  है और बताती है कि कैसे कैसे विषम परिस्थितियों में भी नियति से जूझते हुए सपनों को साकार किया जा सकता है.          
                                                                                                                    
               

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