चाँद से मुखड़े पर बिंदिया सितारा हो
जब हर दिन तुम्हारा हो
दुनिया में आयेगा बेटा या बेटी.
मांओं! ये बहस न तुम्हे गंवारा हो
घर से निकलो तो कोई न कहे,
देखो जा रही है औरत
बस नाम 'इंसान 'तुम्हारा हो
चाँद से मुखड़े पर बिंदिया सितारा हो
जब हर दिन तुम्हारा हो .
क्यों न खड़े कर दो इतने कीर्तिमान तुम
कि लेडीज फर्स्ट का कांसेप्ट पुराना हो
आये फिर से किसी पत्थर में जान,
इस बार राम की जगह ;'अहिल्या' स्पर्श तुम्हारा हो
चाँद से मुखड़े पर बिंदिया सितारा हो
आज फिर पिटी है बाजू वाली पड़ोसन ,
कैसे समझाउं उसे कि;
शिव भी है शव ही गर
शक्ति न उसका सहारा हो
चाँद से मुखड़े पर बिदिया सितारा हो
जब हर दिन तुम्हारा हो
बन जाती क्यों नहीं तुम सब वो 'प्रीतम'
जिसका प्रेमी इमरोज़ बेसहारा हो
बुद्धू हूँ कितनी !मैं भी जो उलझी हुयी हूँ
चाँद से अपनी तुलना में
क्यों न अब सूरज सा तेज हमारा हो
जब हर दिन हमारा हो
wqw...... ahilya n amrita pritam wali lines to awesome hai ...
जवाब देंहटाएंबन जाती क्यों नहीं तुम सब वो 'प्रीतम'
जवाब देंहटाएंजिसका प्रेमी इमरोज़ बेसहारा हो
बुद्धू हूँ कितनी !मैं भी जो उलझी हुयी हूँ
चाँद से अपनी तुलना में
क्यों न अब सूरज सा तेज हमारा हो
जब हर दिन हमारा हो
सबसे खूबसूरत पंक्तियाँ
चिंतन की गंभीरता को दर्शाती पर ऊपर की पंक्तियाँ (यह मेरा विचार है और मैं गलत भी हो सकता हूँ )थोड़ी हल्की हैं
आभार