सोमवार, 7 फ़रवरी 2011

mai aur mera jeevan part 1

कितनी ajeeb बात है की हम जीवन भर अपने बारे में सोचते रहते है जिंदगी का हर छोटा बड़ा काम अपने लिए करते है. हम अपने ही सबसे अधिक करीब होते है, इसके बावजूद मुझे अपने बारे में लिखने क लिए इतना सूचना पड़ता है जैसे की बोलीवूद के फिल्मो के हीरो की तरह मुझे short term memory loss हो गया हो. मई कौन हूँ इस prashna  मुठभेड़ होते ही समझ नहीं आता की नाम बताऊ या पहचान सुरुआत कहा से करू? पैदा होने की तारीख बताऊ या जन्म स्थान. confusion ऐसा हो जाता है जैसे की शाहरुख़ बड़ा या सलमान. अब तक तो आप जान ही गए होंगे की मेरी अपनी कोई पहचान नहीं है. फिलहाल चलन क अनुसार, शुरुआत मई अपने नाम से करती हूँ, संध्या अर्थ सुबह की देवी या साँझ की देवी. अफ़सोस होता है की काश मई अस्सी के दशक में पैदा हुई होती और अमिताभ जी की तरह अपना परीचे दे पाती .. नाम विजी दीना नाथ चौहान, बाप का नाम दीनानाथ चौहान पता मंडवा. मुझे ऐसा लग रहा की आपको मेरा नाम कुछ खली खली सा लग रहा होगा ठीक वैसे की जैसे राम क बिना हनुमान, मुन्नी के बिना बदनाम और जाती के बिना नाम. अब तो आप जान ही गए होंगे की अपवाद छोड़ कर हम नाम के पीछे लगी जाती जैसी चीज से पहचाने जाते है, वैसे ही जैसे राहुल के पीछे गाँधी, मुलायम के पीछे यादव और बहिन के पीछे मायावती. यकीन मानिए मुझे अपने बारे में लिखें के लिए टी.व् सेरिअल्स के किरदारों  की तरह बार बार मर कर जीना पड़ा न जाने कितने चेहरे बदलने पड़े.
अपने बारे में लिखने बैठी हूँ तो ऐसा लगता है ओखली में सर दे maara हो .. कि कूटो. हमारे जीवन में धरम का बहुत महत्व है और पूरी जिंदगी कहै न कही उस्ससे प्रभावित रहते है, जब मुझे अपने बारे में लिखने का मौका मिला है तो ऐसा लग रहा है कि हनुमान कि तरह मुझे भी मेरी शक्ति याद दिला गई हो कि उठो और बता दो अपने बारे में नाम बता देने बाद ऐसा महसूस होरहा है जैसे हाथी निकल गया है बस पूँछ रह गई है. लेकेन पता है कि हनुमान जी ने पूँछ से ही लंका जला डाली थी और .. खुद कि पूँछ भी. चलिए shuruaat लंका vijay और नायिका से करते हैं .. यानि कि लक्ष्य. हिंदी फिल्मो में लक्ष्य नायिका को गुंडों से बचाना ही होता है पत्र और तरीका जो हो फिल्म का वाल्मीकि जो हो इससे पता चलता है कि सभी फिल्मो कि स्टोरी रामायण से चुराई गई है. बात करते करते लक्ष्य से भटक जाना हमारी खूबी है जैसे कि मेरी खूबी अभी आपको पता चली.
आगे जारी hai

1 टिप्पणी: